सम्पूर्ण बैताल-पचीसी हिंदी में | Complete Baital pachisi Stories In Hindi.

सम्पूर्ण बैताल पचीसी हिंदी में | 

Complete Baital Pachchisi Stories In Hindi



Complete Baital Pachchisi Stories In Hindi
Complete Baital Pachchisi Stories In Hindi.


बैताल पचीसी (वेताल पचीसी या बेताल पच्चीसी (संस्कृत:बेताल पञ्चविंशतिका) पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है। इसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे। ये कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं। पिशाच (बेताल) की कहानियों में बेताल, पच्चीस कहानियां (बेताल पच्चीसी) सुनाता है,


जिसमें राजा बेताल को बंदी बनाना चाहता है और वह राजा को उलझन पैदा करने वाली कहानियां सुनाता है और उनका अंत राजा के समक्ष एक प्रश्न रखते हुए करता है। वस्तुतः पहले एक साधु, राजा से विनती करते हैं कि वे बेताल से बिना कोई शब्द बोले उसे उनके पास ले आएं, नहीं तो बेताल उड़ कर वापस अपनी जगह चला जाएगा| राजा केवल उस स्थिति में ही चुप रह सकते थे, जब वे उत्तर न जानते हों, अन्यथा राजा का सिर फट जाता| दुर्भाग्यवश, राजा को पता चलता है कि वे उसके सारे सवालों का जवाब जानते हैं; इसीलिए विक्रमादित्य को उलझन में डालने वाले अंतिम सवाल तक, बेताल को पकड़ने और फिर उसके छूट जाने का सिलसिला चौबीस बार चलता है। इन कहानियों का एक रूपांतरण कथा-सरित्सागर में देखा जा सकता है।

बैताल पचीसी की कहानियाँ भारत की सबसे लोकप्रिय कथाओं में से हैं। इनका स्रोत राजा सातवाहन के मन्त्री “गुणाढ्य” द्वारा रचित “बड कहा” (संस्कृत: बृहत्कथा) नामक ग्रन्थ को दिया जाता है जिसकी रचना ई. पूर्व ४९५ में हुई थी। कहा जाता है कि यह किसी पुरानी प्राकृत में लिखा गया था और इसमे ७ लाख छन्द थे। आज इसका कोई भी अंश कहीं भी प्राप्त नहीं है। कश्मीर के महाकवि सोमदेव भट्टराव ने इसको फिर से संस्कृत में लिखा और कथासरित्सागर नाम दिया। बड़कहा की अधिकतम कहानियों को कथा सरित्सागर में संकलित कर दिए जाने के कारण ये आज भी हमारे पास हैं। “वेताल पञ्चविंशति” यानी बेताल पच्चीसी “कथासरित्सागर” का ही भाग है। समय के साथ इन कथाओं की प्रसिद्धि अनेक देशों में पहुँची और इन कथाओं का बहुत सी भाषाओं में अनुवाद हुआ। बेताल के द्वारा सुनाई गई यो रोचक कहानियाँ केवल दिल बहलाने के लिये नहीं हैं, इनमें अनेक गूढ अर्थ छिपे हैं। क्या सही है और क्या गलत, इसको यदि हम ठीक से समझ लें तो सभी प्रशासक राजा विक्रम कि तरह न्यायप्रिय बन सकेंगे और छल व द्वेष छोडकर, कर्म और धर्म की राह पर चल सकेंगे। इस प्रकार ये कहानियाँ न्याय, राजनीति और विषण परिस्थितियों में सही निर्णय लेने की क्षमता का विकास करती हैं।


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अनुक्रमणिका :-



O5:- असली वर कौन? - बेताल पच्चीसी - पाँचवीं कहानी!

06:-  पत्नी किसकी ? - बेताल पच्चीसी - छठी हिंदी कहानी|





















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