बेताल पच्चीसी - विक्रम बेताल - पच्चीसवीं हिंदी कहानी!!

बेताल पच्चीसी - विक्रम बेताल - पच्चीसवीं हिंदी कहानी!


Betal Pachisi - Last Story 25वी [Hindi Stories ]  


Betal Pachisi - Last Story 25वी [Hindi Stories ]
Betal Pachisi - Last Story 25वी [Hindi Stories ]  



प्रिय पाठकों।

आप सभी का स्वागत हैं मेरे ब्लॉग allhindistory.in पर और आप पढ़ रहे है बेताल पच्चीसी की कड़ी की 25वी और अंतिम हिंदी कहानी "बेताल पच्चीसी - विक्रम बेताल - पच्चीसवीं हिंदी कहानी!" बाकी सभी कहानियों की तरह यह कहानी भी बहुत ही शिक्षाप्रद कहानी हैं। इस विक्रम बेताल की कड़ी में राजा विक्रमादित्य चुपचाप बेताल को एक योगी के पास ले जाना चाहते है, लेकिन बेताल भी ऐसी कहानी सुनाता है की, कहानी के अंत में राजा विक्रमादित्य को बोलने पर मजबूर कर देता है। और राजा का मोन भंग होते ही बेताल फिर से श्मशान में जाकर पेड़ से लटक जाता है। लेकिन 24वी कहानी का जवाब राजा के नही दे पाने से बेताल वापिस श्मशान नही जा सका। और राजा बेताल को योगी के पास ले जाने लगा तब बेताल ने राजा को बताया की आप जल्दी से योगी का अंत कर देना वरना योगी आपको मार देगा। उसके बाद राजा बेताल को योगी के पास ले जाते हैं तो चलिए जानते है की इस कहानी में किस प्रकार राजा योगी का अंत करते हैं। और पढ़ते है -- "Vikram Betal [Betal Pachisi] 25वी Stories In Hindi"


Betal Pachisi - Last Story 25वी [Hindi Stories ]  


बेताल पच्चीसी - विक्रम बेताल - पच्चीसवीं हिंदी कहानी!


योगी राजा को और मुर्दे को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। और बोला, "हे राजन्! तुमने यह कठिन काम करके मेरे साथ बड़ा उपकार किया है। तुम सचमुच सारे राजाओं में श्रेष्ठ हो।"

फिर राजा ने मुर्दे को उसके कंधे से उतार लिया और योगी ने उसे स्नान कराकर फूलों की मालाओं से सजाकर तैयार कर दिया। फिर मंत्र-बल से बेताल का आवाहन करके उसकी पूजा की। पूजा के बाद उसने राजा से कहा, "हे राजन्! तुम शीश झुकाकर इस मुर्दे को प्रणाम करो।"

राजा को बेताल की बात याद आ गयी। उसने कहा, "मैं राजा हूँ, मैंने कभी किसी के आगे सिर नहीं झुकाया। आप पहले सिर झुकाकर बता दीजिए।" की सिर केसे झुकते है।

योगी ने जैसे ही मुर्दे के सामने सिर झुकाया, राजा ने तलवार से योगी का सिर काट दिया। बेताल बड़ा खुश हुआ। और बोला, "राजन्, यह योगी विद्याधरों का स्वामी बनना चाहता था। अब तुम बनोगे। मैंने तुम्हें बहुत हैरान किया है। तुम जो चाहो सो माँग लो।"

राजा ने कहा, "अगर आप मुझसे खुश हैं तो मेरी प्रार्थना है कि आपने जो चौबीस कहानियाँ मुझे सुनायीं, वे, और पच्चीसवीं यह कहानी, सारे संसार में प्रसिद्ध हो जायें और लोग इन्हें आदर से पढ़े।"

बेताल ने कहा, "ऐसा ही होगा राजन। ये कथाएँ ‘बेताल-पच्चीसी’ के नाम से मशहूर होंगी और जो इन्हें पढ़ेंगे, जिससे उनके पाप दूर हो जायेंगे।"


यह कहकर बेताल चला गया। उसके जाने के बाद शिवजी ने प्रकट होकर कहा, "राजन्, तुमने अच्छा किया, जो इस दुष्ट साधु को मार डाला। अब तुम जल्दी ही सातों द्वीपों और पाताल-सहित सारी पृथ्वी पर अपना राज्य स्थापित करोगे।"

इसके बाद शिवजी अन्तर्धान हो गये। काम पूरे करके राजा श्मशान से नगर में आ गया। कुछ ही दिनों में वह सारी पृथ्वी का राजा बन गया और बहुत समय तक आनन्द से राज्य करते हुए अन्त में भगवान में समा गया।

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तो प्रिय पाठकों इसी प्रकार राजा योगी को मारकर बेताल को मुक्ति दिला देते है। और बेताल पच्चीसी हिंदी कहानी का अंत हो जाता है। तो दोस्तो और नई शिक्षाप्रद हिंदी कहानी पढ़ने के लिए की पढ़ते रहिए allhindistory.in पर।

प्रिय पाठको अगर आपने अभी तक बेताल पच्चीसी [betal Pachisi] कड़ी की पिछली हिंदी कहानी माँ-बेटी के बच्चों में क्या रिश्ता हुआ? बेताल पच्चीसी - 24वीं कहानी! नही पढ़ी है तो वो भी पढ़ सकते हैं। 

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