पौराणिक कथा! जब देवराज इन्द्र ने लूटी अहिल्या की इज्जत !

पौराणिक कथा! जब देवराज इन्द्र ने लूटी अहिल्या की इज्जत !

Poranik katha. Jab Devraj Indra Ne Luti Ahilya Ki Ejjat.


हिंदी कहानी इंद्र और अहिल्या
हिंदी कहानी इंद्र और अहिल्या 


प्रिय पाठकों 
पौराणिक प्रेम कथाओं की सीरीज में आज की कहानी हैं "पौराणिक प्रेम कथा ! जब देवराज इन्द्र ने लूटी अहिल्या की इज्जत !" पौराणिक प्रेम कथाएं भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और वे हमारी संस्कृति, नैतिकता और राष्ट्रीय धार्मिक भावनाओं को प्रतिष्ठित करती हैं। इन पौराणिक प्रेम कथाओं का इतिहास बहुत पुराना है और इन्हें लोग पीढ़ी से पीढ़ी तक आदि रचनाओं और पौराणिक कथाओं के रूप में पढ़ते आए हैं। इन कथाओं में प्रेम के विभिन्न पहलुओं, रोमांचक घटनाओं, नायिकाओं और नायकों के चरित्र विकास के माध्यम से विभिन्न संदेश और सिद्धांतों की प्रस्तुति की गई है।
जिसमें से कुछ प्रसिद्ध पौराणिक प्रेम कथाएं जिसे आप यहां "पौराणिक कथाओं का महा संग्रह" से पढ़ सकते हैं। इसमें सभी प्रमुख पौराणिक प्रेम कथाओं के उल्लेख की सूची हैं। इसके अलावा भी बहुत सारी प्रेम कथाएं हैं जो भारतीय पौराणिक साहित्य में प्रसिद्ध हैं। ये कथाएं विभिन्न पौराणिक और धार्मिक ग्रंथों में प्राप्त होती हैं और अलग-अलग प्रेम कहानियों को आधार बनाती हैं। तो चलिए शुरू करते हैं आज की प्रेम कथा।


पौराणिक कथा! जब देवराज इन्द्र ने लूटी अहिल्या की इज्जत !


Poranik katha. Jab Devraj Indra Ne Luti Ahilya Ki Ejjat.



पौराणिक कथाओं के मुताबिक स्वर्ग लोक में इंद्र का वास है। इंद्र अपने चारों ओर कई सुंदर अप्सराओं से घिरे रहते हैं और उनके साथ काम क्रीड़ा करते हैं। इंद्र को देवराज कहा जाता है, यानी कि देवों का देव। फिर भी इंद्र की पूजा नहीं की जाती। इसके कई कारण हैं। इंद्र कभी खुद को कामवासना से मुक्त नहीं कर पाए। पुराणों में इंद्र के शरीर पर ढेर सारी आंखें होने का भी जिक्र मिलता है। कहते हैं कि एक बार इंद्र ने महान ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या के साथ धोखे से संबंध बनाए थे। जब ऋषि को पता चला तो उन्होंने इंद्र को श्राप दे दिया, जिससे उनके शरीर पर हजार योनियां आ गईं। बाद में ये योनियां आंखों में बदल गईं।

अहिल्या ब्रह्मा जी की मानस पुत्री थीं। सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी ने एक स्त्री का निर्माण किया जिन्हें वे अहिल्या के नाम से पुकारते थे। अहिल्या अत्यंत रूपवान थी तथा उन्हें यह वरदान प्राप्त था कि उनका यौवन सदा बना रहेगा। उनकी सुंदरता के सामने स्वर्ग लोक की अप्सराएं भी फीकी नजर आती थीं। अहिल्या की सुंदरता के कारण सभी देवता उन्हें पाने की इच्छा रखते थे। 

ब्रह्मा जी ने अहिल्या की शादी के लिए एक परीक्षा का आयोजन किया जिसके विजेता से वह अहिल्या की शादी रचना चाहते थे। सभी देवताओं को निमंत्रण दिया गया। सभी देवता उस परीक्षा के लिए उपस्थित हुए। महर्षि गौतम ने यह परीक्षा उत्तीर्ण की इसी कारण अहिल्या का विवाह विधिपूर्वक महर्षि गौतम के साथ हुआ।

अहिल्या की सुंदरता से मोहित हो गए इंद्र


ब्रह्मवैवर्त और पद्मपुराण के मुताबिक एक बार इंद्र भ्रमण पर निकले। आसमान से उनकी नजर जंगल में बने एक ऋषि की कुटिया पर पड़ी। उस कुटिया में उन्होंने एक बहुत ही सुंदर स्त्री को देखा। इंद्र उस महिला को देखकर मोहित हो गए। उनसे रहा नहीं गया। ये कुटिया महान तपस्वी गौतम ऋषि की थी। जिस स्त्री को देखकर इंद्र मोहित हुए वो गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या थीं। 

वैसे तो इंद्र के देवलोक में कई खूबसूरत अप्सराएं थीं। वे जब भी चाहते किसी भी अप्सरा के साथ सहवास कर सकते थे। मगर अहिल्या की सुंदरता उन्हें भा गई। इंद्र अहिल्या के साथ संबंध बनाने की तरकीब सोचने लगे। उन्होंने अहिल्या के पति गौतम ऋषि की दिनचर्या पर नजर रखी।

गौतम ऋषि रोजाना भोर होने से पहले जग जाते और अपने नित्यकर्म निपटाने के लिए नदी किनारे जाते थे। वहां 2-3 घंटे का समय बिताकर फिर कुटिया में आते थे। इंद्र ने इसी मौके का फायदा उठाने की योजना बनाई। एक रात जब गौतम ऋषि और अहिल्या सो गए, फिर कुछ समय बाद इंद्र ने अपनी शक्ति से भोर होने का कृत्रिम आवरण बना लिया। ऋषि गौतम को लगा कि सुबह होने को है, वे रोजाना की तरह उठ गए और नित्यकर्म के लिए निकल पड़े।

इंद्र ने धारण किया गौतम ऋषि का भेष 


इंद्र ने गौतम ऋषि का भेस धारण कर कुटिया में प्रवेश किया। अहिल्या को लगा कि उनके पति नित्यकर्म से निपटकर आ गए हैं। फिर इंद्र ने गौतम ऋषि के भेस में अहिल्या से प्यार भरी बातें की और उसके साथ संबंध बना लिए। दूसरी ओर, जब ऋषि नदी किनारे पहुंचे तो वहां के जनजीवन को देखकर उन्हें आभास हो गया कि किसी ने धोखे से सुबह का आवरण बनाया है। वे तुरंत अपनी कुटिया में पहुंचे, जहां उनके भेस में इंद्र उनकी पत्नी के साथ सो रहे थे।

ऋषि गौतम ने दिया श्राप 


ये देखकर गौतम ऋषि आग बबूला हो गए। उन्होंने अहिल्या को पत्थर बनने का श्राप दे दिया। वहीं, कामवासना के मोह में गिरे इंद्र को भी श्राप दिया कि उसके शरीर पर हजार योनियां उग आएंगी। वह चाहकर भी किसी स्त्री के साथ संबंध नहीं बना पाएंगे। देखते ही देखते इंद्र के पूरे शरीर पर योनियां उभर आईं। इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने गौतम ऋषि से क्षमा याचना की। ऋषि ने इंद्र को माफ कर दिया लेकिन कहा कि एक बार श्राप दे दिया इसलिए वापस नहीं हो सकता। हालांकि, ऋषि गौतम ने कहा कि इंद्र के शरीर पर उभरी ये योनियां आंखों में बदल जाएंगी। इस वजह से इंद्र के पूरे शरीर पर आखें ही आंखें हो गईं।

दूसरी तरफ अहिल्या ने भी गौतम ऋषि से कहा कि उन्हें बिल्कुल भी यह एहसास नहीं हुआ कि उनके भेस में कोई और शख्स उनके साथ सोया है। इसमें उनकी कोई गलती नहीं थी। उनके मन में छल की कोई भावना नहीं थी। गौतम ऋषि ने अहिल्या को वरदान दिया कि कालांतर में भगवान विष्णु का अवतार तुम्हारे पास आएगा और उसके छूने से तुम फिर से पहले जैसी बन जाओगी। सालों बाद श्रीराम ने विष्णु के अवतार के रूप में धरती पर जन्म लिया। राम ने ही बाद में अहिल्या को छूकर उन्हें श्राप से मुक्त किया। 


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